Monday, September 3, 2018

भारत में सिगरेट से जुड़े क़ानून

काउंसलर पहले आपसे आपके सिगरेट पीने का इतिहास पूछतीं हैं - मसलन कब से सीगरेट पी रहे है? आपको लत कब से लगी है? एक दिन में कितनी पीते हैं? वगैरह वगैरह..
उनके मुताबिक ये जानना इसलिए ज़रूरी है ताकि ये पता लगा सकें कि उस शख़्स के लिए सिगरेट की लत छोड़ना कितना आसान या मुश्किल है.
इतना जान लेने के बाद, काउंसलर सिगरेट पीने वाले से ही पूछते हैं - सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन क्या है?
इसका मक़सद ये है कि पता लगाया जा सके - लत छोड़ने के लिए आप कितने तत्पर हैं और संजिदा भी. हली सलाह - सुबह उठते ही 2 ग्लास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर लें. पानी में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
दूसरी सलाह - सिगरेट पीने का जब भी मन करें, "खुद को समझाएं कि मुझे सिगरेट पीना छोड़ना है." सिगरेट छोड़ने के लिए इच्छाशक्ति सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.
तीसरी सलाह - इच्छाशक्ति के साथ, जब आप सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन तय कर लें और उसके बाद आपको सिगरेट पीने की तलब लगे, तो आप आराम से बैठें, लंबी सांस भरे और पानी पी लें. ऐसा करने से आपका ध्यान भटकेगा.
चौथी सलाह - अदरक और आंवला को कद्दू-कस कर उसे सूखा लें और नींबू और नमक डाल कर डिब्बे में भर कर हमेशा अपने साथ रखें. जब भी सिगरेट पीने की तलब लगे, आप थोड़ी थोड़ी देर पर इस पेस्ट का सेवन कर सकते हैं. इसके आलावा मौसम्मी, संतरा और अंगूर जैसे फल और उनका रस पीना भी सिगरेट की तलब मिटाने में मददगार होता है.
हेल्पलाइन नंबर पर ये सलाह देने के बाद काउंसलर आपके साथ हफ्ते भर के अंदर फॉलो-अप कॉल भी करती हैं.
फ़िलहाल एक दिन में इस हेल्पलाइन नंबर पर 40-45 कॉल आते हैं. काउंसलर के मुताबिक जिस दिन अख़बारों में विज्ञापन छप जाता है उस दिन कॉल की संख्या ज़्यादा हो जाती है.
ये हेल्पलाइन सेंटर सुबह आठ बजे से शाम के आठ बजे तक काम करता है. यहां फ़िलहाल 14 काउंसलर काम करते हैं.
हेल्पलाइन नंबर पर मिलने वाले मदद के मुताबिक सिगरेट या तंबाकू छोड़ने के कोशिश के शुरूआती दिनों में स्वाभाव में चिड़चिड़ापन, घबराहट, छटपटाहट होती है. ये लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि किसको, कितनी सिगरेट पीने की आदत है और कितने दिन से आदत है.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर के चेयरमैन डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक नए तरीके के चित्र-चेतावनी से दो तरीके के फ़ायदे होंगे.
अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने आज तक कोई ऐसा इंसान नहीं देखा तो तंबाकू की लत छोड़ना नहीं चाहता. इस तरीके से हेल्पलाइन नंबर सिगरेट पर लिखे होने से उनको पता चलेगा कि आख़िर सिगरेट छोड़ने के लिए जाना कहां है, किनसे बात करनी है. इसके आलावा जो लोग सिगरेट पीना शुरू कर रहें हैं वो पहले से ही सावधान हो जाएंगे."
डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक भारत में पिछले दिनों तंबाकू के पैकेट पर छपे चेतावनी की वजह से साल दर साल ऐसे लोगों की संख्या लगातार घट रही है.
आस्ट्रेलिया में सरकार ने 2006 में सिगरेट के पैकेट पर इसी तरह से हेल्पलाइन नंबर लिखना शुरू किया था. ये तरीका वहां कितना कारगर रहा, इस पर 2009 में एक रिपोर्ट सामने आई. इस रिपोर्ट के मुताबिक पैकेट पर हेल्पलाइन नंबर छपने के बाद हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने वालों की संख्या बढ़ी, जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि छोड़ने वालों को असली तरीका पहले पता नहीं था.
दुनिया के 46 देशों में तंबाकू के उत्पाद पर पैकेजिंग के समय ऐसे नंबर लिखे होते हैं.
वॉलंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सीईओ भावना मुखोपाध्याय के मुताबिक, "ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे (2016-17) में ये बात सामने आई है कि 62 फ़ीसदी सिगरेट पीने वाले, 54 फ़ीसदी बीड़ी पीने वालों ने चित्र चेतावनी देख कर तंबाकू छोड़ने का निश्चय किया. ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है."
डॉ. चतुर्वेदी के मुताबिक, " एक महीने तक कोई सिगरेट नहीं छूता तो ये वापस सिगरेट पर लौटने की संभावना कम हो जाती है. लेकिन छह महीने तक अगर कोई न पीए, तो दोबारा सिगरेट पीना शुरू करने की संभवना खत्म हो जाती है."
बीबीसी ने भी कई लोगों से इस नए सरकारी आदेश पर उनकी राय जाननी चाही.
दिल्ली में मास्टर्स की पढ़ाई करने वाली सदफ़ खान के मुताबिक, "सिगरेट के पैकेट पर तो आज भी वार्निंग लिखी होती है, लेकिन पीने वाले तो आज भी पीते हैं. मैं भी आज भी पीती हूं. हेल्पलाइन नंबर पैकेट पर छापने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा."
मुंबई की रहने वाले मलकीत सिंह कहते हैं, "जब तक घर परिवार का दवाब नहीं होता, या भी बीमार नहीं पड़ते, तब तक कोई भी सिगरेट पीना नहीं छोड़ता. सिगरेट पीना शुरू करने के लिए कोई वजह होती है और छोड़ने के पीछे भी."ताबिक देश में 10.7 फ़ीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. देश में 19 फ़ीसदी पुरुष और 2 फ़ीसदी महिलाएं तंबाकू लेते हैं.
सिर्फ़ सिगरेट पीने की बात करें तो 4 फ़ीसदी वयस्क सिगरेट पीते हैं. सिगरेट पीने वालों में 7.3 फ़ीसदी पुरूष हैं और 0.6 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय महिलाओं में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी पीने की आदत है. देश में 1.2 फ़ीसदी महिलाएं बीड़ी पीती हैं. में भारत में क़ानून बना जिसके बाद सिगरेट के पैकेट पर तस्वीर के साथ 'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' लिखना अनिवार्य किया था. लेकिन सिगरेट बनाने वाली कंपनियों ने सरकार के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. 2016 ने सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हक में फ़ैसला सुनाया.
भारत में तंबाकू से जुड़े उत्पाद का विज्ञापन पर बैन है. 18 साल से कम उम्र के बच्चे तंबाकू के उत्पाद नहीं बेच सकते. सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने पर पाबंदी है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है.

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