原料设计与利用水平升级能否帮助我们消灭现行经济模式产生的各种废弃物呢?中欧两地政策制定者们认为是可以的。众所周知,循环经济思维同样也吸引了可口可乐等大型跨国企业的关注,并且对他们的产品商业设计产生深刻影响。
每年,全球垃圾填埋焚烧、废弃物清理和污染物管理的费用高达数十亿美元,而循环经济模式则可以帮助我们省下这笔花销。为构建资源利用率更高的可持续经济,中国政府与欧盟似乎自然而然地从中找到了合作的切入点。
艾伦·麦克阿瑟基金会执行官乔思琳·布莱里奥一直致力于推动全球经济向循环经济的转型和发展。在不久前欧洲委员会在马耳他召开的“我们的海洋会议”上,我们就这一问题与她进行了对话。
为清晰起见,本文对采访内容进行了缩减和编辑。
夏•洛婷(下文简称“夏”):如今,自然资源日渐减少,海中漂浮的塑料垃圾有如一个个岛屿,电子垃圾更是堆积成山。您认为该如何解决这些问题?
乔思琳·布莱里奥(下文简称“布”):产业发展模式自工业革命以来,采取的都是一种榨取式的发展模式,也就是地下开采资源、制成产品、用后全部丢弃的三步走模式。尽管这种发展模式满足了发展需求,让数十亿人脱离贫困,但同时也造成了大量的浪费和污染。
从加剧资源稀缺的角度来说,这种模式的负面影响已经开始显现。业界和政府都已经意识到,必须建立一个不同以往的系统,能够带来更具弹性的长期繁荣,并使经济增长摆脱负面影响困扰。而这就是我们现阶段的工作——推广循环经济模式。
塑料是现代经济中具有标志性意义的一种材料,不仅随处可见,而且用途广泛,但材料规模增速也非常惊人。塑料可以说具有典型的线性生命周期,从有限的资源制成产品,最后在使用后被丢弃。塑料的特性决定了它能够快速积累,无论是消费还是生产都快速增长。
因此,我们希望从上游设计环节来重塑塑料包装行业。而对于其他一些环节,所要做的就是对分销模式进行创新,在不增加塑料废弃的情况下将产品交付到消费者手上。
这个策略的另外一部分就是要提高再回收利用质量,确保回收利用的部分不会降格成为低质原料。
夏:2015年12月出台的欧盟循环经济方案要求,成员国需要在2025年和2030年将包装材料的回收再利用率分别提高到65%和75%。您认为这样的目标是否足够?
布:新目标还在探讨之中。目前我们正在进行一个由欧洲委员会、欧洲理事会和欧洲议会三方共同参与的“三方会谈”。在这个会谈中,成员国可以通过欧洲理事会行使很强的话语权。当然,关于降低这些目标的讨论也有不少。但归根结底,这种讨论围绕的还是下游环节。
欧洲委员会“循环经济方案”中最有趣的部分就是强调了上游和设计环节,关注的是什么样的产品被推向了市场。
如果能通过“生态设计指令”或扩大生产者责任的方法,构建一个不会产生任何废弃物的系统,那么产品链下游的废弃物也自然就会减少。
这只是一种积极的看法,成员国之间的讨论将会进行得非常困难,而在这个转型时期,城市垃圾回收利用目标的设定也非常重要。
夏:5个亚洲国家向全球海洋地区“贡献”了60%的塑料污染。而中国则是全球最主要的塑料生产国之一。您能给我们举例说明一下,欧盟将如何与中国携手解决这一问题吗?
布:在这个方面,欧盟驻华代表团表现得非常积极。最近,我们刚刚就塑料问题进行了一次高规格会谈,并以我们撰写的“新塑料经济”文件作为讨论的起点。
我认为,双方目前为止都还没有采取或出台很多切实的措施。过去15年来,循环经济这个话题一直是中欧双方的政策核心。所以,自然而然这一点也是双方合作的一个切入点。可以想见,未来双方肯定会就产品的通用标准或者材料废弃物的定义等问题展开深入讨论。
中国在海洋垃圾问题上的立场一向非常坚定。中方明白,他们必须要解决这个问题。而海洋垃圾也是欧盟理事会“循环经济方案”的一个核心问题…… 所以,我们认为双方有很多潜在的合作点和相辅相成的机制,因而很有可能会在今年共同发布一些重大声明。
夏:最近中国出台了一项很可能影响中欧双边关系和垃圾事务合作的重大决策,即打击洋垃圾的“国门利剑2017”专项行动。目前,中国每年从其他国家进口70%的塑料废弃物和37%的纸质废弃物,算得上是全球最大的塑料废弃物市场。而中国的“洋垃圾”禁令将产生非常重大的影响。您认为禁令对西方国家的工业设计会产生什么影响?从产品设计角度来说,这会不会是个好消息呢?
布:这很难说。但事实上,如果你开始说“我不希望这个东西流入我的国境”,那是因为你对这个材料的属性和质量有所担心。这种担心自然会逆向影响到进入该国市场的产品,而不仅仅是废弃物,因为产品所用的材料如果是你不欢迎进入本国的,产品的准入自然也就会受到影响。
如今,我们再也不能把所有东西都丢在门口,然后说一句“这些我们都不想要了”。我们要开始仔细思考材料生产、设计和使用的整个流程——如果产品不符合这个流程的最终要求,那么我们是否应该对其进行重新设计呢?
从对设计工作的影响来看,拒收洋垃圾很有可能会对一些对于设计标准的规定产生影响。我们知道,中国已经采取不少行动推动循环经济的发展,而且对生态设计的关注也达到了前所未有的高度。
Wednesday, September 19, 2018
Monday, September 3, 2018
भारत में सिगरेट से जुड़े क़ानून
काउंसलर पहले आपसे आपके सिगरेट पीने का इतिहास पूछतीं हैं - मसलन कब से
सीगरेट पी रहे है? आपको लत कब से लगी है? एक दिन में कितनी पीते हैं? वगैरह
वगैरह..
उनके मुताबिक ये जानना इसलिए ज़रूरी है ताकि ये पता लगा सकें कि उस शख़्स के लिए सिगरेट की लत छोड़ना कितना आसान या मुश्किल है.
इतना जान लेने के बाद, काउंसलर सिगरेट पीने वाले से ही पूछते हैं - सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन क्या है?
इसका मक़सद ये है कि पता लगाया जा सके - लत छोड़ने के लिए आप कितने तत्पर हैं और संजिदा भी. हली सलाह - सुबह उठते ही 2 ग्लास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर लें. पानी में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
दूसरी सलाह - सिगरेट पीने का जब भी मन करें, "खुद को समझाएं कि मुझे सिगरेट पीना छोड़ना है." सिगरेट छोड़ने के लिए इच्छाशक्ति सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.
तीसरी सलाह - इच्छाशक्ति के साथ, जब आप सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन तय कर लें और उसके बाद आपको सिगरेट पीने की तलब लगे, तो आप आराम से बैठें, लंबी सांस भरे और पानी पी लें. ऐसा करने से आपका ध्यान भटकेगा.
चौथी सलाह - अदरक और आंवला को कद्दू-कस कर उसे सूखा लें और नींबू और नमक डाल कर डिब्बे में भर कर हमेशा अपने साथ रखें. जब भी सिगरेट पीने की तलब लगे, आप थोड़ी थोड़ी देर पर इस पेस्ट का सेवन कर सकते हैं. इसके आलावा मौसम्मी, संतरा और अंगूर जैसे फल और उनका रस पीना भी सिगरेट की तलब मिटाने में मददगार होता है.
हेल्पलाइन नंबर पर ये सलाह देने के बाद काउंसलर आपके साथ हफ्ते भर के अंदर फॉलो-अप कॉल भी करती हैं.
फ़िलहाल एक दिन में इस हेल्पलाइन नंबर पर 40-45 कॉल आते हैं. काउंसलर के मुताबिक जिस दिन अख़बारों में विज्ञापन छप जाता है उस दिन कॉल की संख्या ज़्यादा हो जाती है.
ये हेल्पलाइन सेंटर सुबह आठ बजे से शाम के आठ बजे तक काम करता है. यहां फ़िलहाल 14 काउंसलर काम करते हैं.
हेल्पलाइन नंबर पर मिलने वाले मदद के मुताबिक सिगरेट या तंबाकू छोड़ने के कोशिश के शुरूआती दिनों में स्वाभाव में चिड़चिड़ापन, घबराहट, छटपटाहट होती है. ये लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि किसको, कितनी सिगरेट पीने की आदत है और कितने दिन से आदत है.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर के चेयरमैन डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक नए तरीके के चित्र-चेतावनी से दो तरीके के फ़ायदे होंगे.
अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने आज तक कोई ऐसा इंसान नहीं देखा तो तंबाकू की लत छोड़ना नहीं चाहता. इस तरीके से हेल्पलाइन नंबर सिगरेट पर लिखे होने से उनको पता चलेगा कि आख़िर सिगरेट छोड़ने के लिए जाना कहां है, किनसे बात करनी है. इसके आलावा जो लोग सिगरेट पीना शुरू कर रहें हैं वो पहले से ही सावधान हो जाएंगे."
डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक भारत में पिछले दिनों तंबाकू के पैकेट पर छपे चेतावनी की वजह से साल दर साल ऐसे लोगों की संख्या लगातार घट रही है.
आस्ट्रेलिया में सरकार ने 2006 में सिगरेट के पैकेट पर इसी तरह से हेल्पलाइन नंबर लिखना शुरू किया था. ये तरीका वहां कितना कारगर रहा, इस पर 2009 में एक रिपोर्ट सामने आई. इस रिपोर्ट के मुताबिक पैकेट पर हेल्पलाइन नंबर छपने के बाद हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने वालों की संख्या बढ़ी, जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि छोड़ने वालों को असली तरीका पहले पता नहीं था.
दुनिया के 46 देशों में तंबाकू के उत्पाद पर पैकेजिंग के समय ऐसे नंबर लिखे होते हैं.
वॉलंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सीईओ भावना मुखोपाध्याय के मुताबिक, "ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे (2016-17) में ये बात सामने आई है कि 62 फ़ीसदी सिगरेट पीने वाले, 54 फ़ीसदी बीड़ी पीने वालों ने चित्र चेतावनी देख कर तंबाकू छोड़ने का निश्चय किया. ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है."
डॉ. चतुर्वेदी के मुताबिक, " एक महीने तक कोई सिगरेट नहीं छूता तो ये वापस सिगरेट पर लौटने की संभावना कम हो जाती है. लेकिन छह महीने तक अगर कोई न पीए, तो दोबारा सिगरेट पीना शुरू करने की संभवना खत्म हो जाती है."
बीबीसी ने भी कई लोगों से इस नए सरकारी आदेश पर उनकी राय जाननी चाही.
दिल्ली में मास्टर्स की पढ़ाई करने वाली सदफ़ खान के मुताबिक, "सिगरेट के पैकेट पर तो आज भी वार्निंग लिखी होती है, लेकिन पीने वाले तो आज भी पीते हैं. मैं भी आज भी पीती हूं. हेल्पलाइन नंबर पैकेट पर छापने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा."
मुंबई की रहने वाले मलकीत सिंह कहते हैं, "जब तक घर परिवार का दवाब नहीं होता, या भी बीमार नहीं पड़ते, तब तक कोई भी सिगरेट पीना नहीं छोड़ता. सिगरेट पीना शुरू करने के लिए कोई वजह होती है और छोड़ने के पीछे भी."ताबिक देश में 10.7 फ़ीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. देश में 19 फ़ीसदी पुरुष और 2 फ़ीसदी महिलाएं तंबाकू लेते हैं.
सिर्फ़ सिगरेट पीने की बात करें तो 4 फ़ीसदी वयस्क सिगरेट पीते हैं. सिगरेट पीने वालों में 7.3 फ़ीसदी पुरूष हैं और 0.6 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय महिलाओं में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी पीने की आदत है. देश में 1.2 फ़ीसदी महिलाएं बीड़ी पीती हैं. में भारत में क़ानून बना जिसके बाद सिगरेट के पैकेट पर तस्वीर के साथ 'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' लिखना अनिवार्य किया था. लेकिन सिगरेट बनाने वाली कंपनियों ने सरकार के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. 2016 ने सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हक में फ़ैसला सुनाया.
भारत में तंबाकू से जुड़े उत्पाद का विज्ञापन पर बैन है. 18 साल से कम उम्र के बच्चे तंबाकू के उत्पाद नहीं बेच सकते. सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने पर पाबंदी है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है.
उनके मुताबिक ये जानना इसलिए ज़रूरी है ताकि ये पता लगा सकें कि उस शख़्स के लिए सिगरेट की लत छोड़ना कितना आसान या मुश्किल है.
इतना जान लेने के बाद, काउंसलर सिगरेट पीने वाले से ही पूछते हैं - सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन क्या है?
इसका मक़सद ये है कि पता लगाया जा सके - लत छोड़ने के लिए आप कितने तत्पर हैं और संजिदा भी. हली सलाह - सुबह उठते ही 2 ग्लास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर लें. पानी में शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
दूसरी सलाह - सिगरेट पीने का जब भी मन करें, "खुद को समझाएं कि मुझे सिगरेट पीना छोड़ना है." सिगरेट छोड़ने के लिए इच्छाशक्ति सबसे ज़्यादा ज़रूरी है.
तीसरी सलाह - इच्छाशक्ति के साथ, जब आप सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन तय कर लें और उसके बाद आपको सिगरेट पीने की तलब लगे, तो आप आराम से बैठें, लंबी सांस भरे और पानी पी लें. ऐसा करने से आपका ध्यान भटकेगा.
चौथी सलाह - अदरक और आंवला को कद्दू-कस कर उसे सूखा लें और नींबू और नमक डाल कर डिब्बे में भर कर हमेशा अपने साथ रखें. जब भी सिगरेट पीने की तलब लगे, आप थोड़ी थोड़ी देर पर इस पेस्ट का सेवन कर सकते हैं. इसके आलावा मौसम्मी, संतरा और अंगूर जैसे फल और उनका रस पीना भी सिगरेट की तलब मिटाने में मददगार होता है.
हेल्पलाइन नंबर पर ये सलाह देने के बाद काउंसलर आपके साथ हफ्ते भर के अंदर फॉलो-अप कॉल भी करती हैं.
फ़िलहाल एक दिन में इस हेल्पलाइन नंबर पर 40-45 कॉल आते हैं. काउंसलर के मुताबिक जिस दिन अख़बारों में विज्ञापन छप जाता है उस दिन कॉल की संख्या ज़्यादा हो जाती है.
ये हेल्पलाइन सेंटर सुबह आठ बजे से शाम के आठ बजे तक काम करता है. यहां फ़िलहाल 14 काउंसलर काम करते हैं.
हेल्पलाइन नंबर पर मिलने वाले मदद के मुताबिक सिगरेट या तंबाकू छोड़ने के कोशिश के शुरूआती दिनों में स्वाभाव में चिड़चिड़ापन, घबराहट, छटपटाहट होती है. ये लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि किसको, कितनी सिगरेट पीने की आदत है और कितने दिन से आदत है.
मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर के चेयरमैन डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक नए तरीके के चित्र-चेतावनी से दो तरीके के फ़ायदे होंगे.
अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने आज तक कोई ऐसा इंसान नहीं देखा तो तंबाकू की लत छोड़ना नहीं चाहता. इस तरीके से हेल्पलाइन नंबर सिगरेट पर लिखे होने से उनको पता चलेगा कि आख़िर सिगरेट छोड़ने के लिए जाना कहां है, किनसे बात करनी है. इसके आलावा जो लोग सिगरेट पीना शुरू कर रहें हैं वो पहले से ही सावधान हो जाएंगे."
डॉ. हरित चतुर्वेदी के मुताबिक भारत में पिछले दिनों तंबाकू के पैकेट पर छपे चेतावनी की वजह से साल दर साल ऐसे लोगों की संख्या लगातार घट रही है.
आस्ट्रेलिया में सरकार ने 2006 में सिगरेट के पैकेट पर इसी तरह से हेल्पलाइन नंबर लिखना शुरू किया था. ये तरीका वहां कितना कारगर रहा, इस पर 2009 में एक रिपोर्ट सामने आई. इस रिपोर्ट के मुताबिक पैकेट पर हेल्पलाइन नंबर छपने के बाद हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने वालों की संख्या बढ़ी, जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि छोड़ने वालों को असली तरीका पहले पता नहीं था.
दुनिया के 46 देशों में तंबाकू के उत्पाद पर पैकेजिंग के समय ऐसे नंबर लिखे होते हैं.
वॉलंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की सीईओ भावना मुखोपाध्याय के मुताबिक, "ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे (2016-17) में ये बात सामने आई है कि 62 फ़ीसदी सिगरेट पीने वाले, 54 फ़ीसदी बीड़ी पीने वालों ने चित्र चेतावनी देख कर तंबाकू छोड़ने का निश्चय किया. ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है."
डॉ. चतुर्वेदी के मुताबिक, " एक महीने तक कोई सिगरेट नहीं छूता तो ये वापस सिगरेट पर लौटने की संभावना कम हो जाती है. लेकिन छह महीने तक अगर कोई न पीए, तो दोबारा सिगरेट पीना शुरू करने की संभवना खत्म हो जाती है."
बीबीसी ने भी कई लोगों से इस नए सरकारी आदेश पर उनकी राय जाननी चाही.
दिल्ली में मास्टर्स की पढ़ाई करने वाली सदफ़ खान के मुताबिक, "सिगरेट के पैकेट पर तो आज भी वार्निंग लिखी होती है, लेकिन पीने वाले तो आज भी पीते हैं. मैं भी आज भी पीती हूं. हेल्पलाइन नंबर पैकेट पर छापने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा."
मुंबई की रहने वाले मलकीत सिंह कहते हैं, "जब तक घर परिवार का दवाब नहीं होता, या भी बीमार नहीं पड़ते, तब तक कोई भी सिगरेट पीना नहीं छोड़ता. सिगरेट पीना शुरू करने के लिए कोई वजह होती है और छोड़ने के पीछे भी."ताबिक देश में 10.7 फ़ीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. देश में 19 फ़ीसदी पुरुष और 2 फ़ीसदी महिलाएं तंबाकू लेते हैं.
सिर्फ़ सिगरेट पीने की बात करें तो 4 फ़ीसदी वयस्क सिगरेट पीते हैं. सिगरेट पीने वालों में 7.3 फ़ीसदी पुरूष हैं और 0.6 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय महिलाओं में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी पीने की आदत है. देश में 1.2 फ़ीसदी महिलाएं बीड़ी पीती हैं. में भारत में क़ानून बना जिसके बाद सिगरेट के पैकेट पर तस्वीर के साथ 'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है' लिखना अनिवार्य किया था. लेकिन सिगरेट बनाने वाली कंपनियों ने सरकार के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया. 2016 ने सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हक में फ़ैसला सुनाया.
भारत में तंबाकू से जुड़े उत्पाद का विज्ञापन पर बैन है. 18 साल से कम उम्र के बच्चे तंबाकू के उत्पाद नहीं बेच सकते. सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीने पर पाबंदी है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है.
Subscribe to:
Posts (Atom)