एक बेहद रोमांचक मुकाबले के बाद, भारत एशियाई खेलों के पुरूष हॉकी मुकाबलों के सेमीफ़ाइनल में मलेशिया से हार गया है.
सेमी फ़ाइनल में मलेशिया ने भारत को पेनल्टी शूट-आउट में बराबर स्कोर रहने के बाद 'सडन डेथ' में 7-6 से हराया.
इससे पहले निर्धारित समय तक दोनों टीमें 2-2 से बराबरी पर थीं.
दोनों टीमें हॉफ़ टाइम तक कोई गोल नहीं कर पाईं लेकिन तीसरे क्वार्टर के बाद खेल ने कुछ रफ़्तार पकड़ी.
हॉफ़ टाइम के तुरंत बाद भारत की ओर से हरमनप्रीत सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर के ज़रिए गोल दाग़ कर भारत को बढ़त दिलाई.
लेकिन ये लीड ज़्यादा देर तक नहीं टिक पाई और चंद मिनटों के भीतर ही
मलेशिया के फ़ैसल सारी ने गेंद को नेट मे डालकर अपनी टीम को बराबरी पर ला
खड़ा कर दिया.
भारतीय टीम ने एक बार फिर से बढ़त लेने में ज़्यादा
देर नहीं लगाई. और इस बार टीम को बढ़त दिलाई वरूण कुमार ने. ये गोल भी
पेनल्टी कॉर्नर के ज़रिए हुआ. इमेज कॉपीरइटकिन इस बढ़त के बाद भारत के दो खिलाड़ियों को मैदान से बाहर जाना पड़ा.इसके बाद मलेशिया ने भारतीय गोलपोस्ट पर कुछ ज़ोरदार हमले बोले. लेकिन भारतीय गोलकीपर श्रीजेश हर अवसर पर काफ़ी शार्प दिखे.
लेकिन खेल के आख़िरी लम्हों में मलेशिया ने गोल स्कोर कर मैच दो दो से बराबर कर दिया.
और इसके बाद मैच का फ़ैसला पेनल्टी शूट आउट में नहीं हुआ और फिर सडन डेथ में भारत हार गया.
भारत पिछले एशियाई खेलों का चैम्पियन था. उधर इसी साल कॉमनवेल्थ खेलों
में मलेशिया ने भारत को 2-1 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी.
इस व्यक्ति को अल-जज़ीरा ने इसी साल मई में अपने एक कार्यक्रम में दिखाया था.
अल-जज़ीरा ने में दिखाया था कि मुंबई के कुछ लोग अंतरराष्ट्रीय मैच फिक्स कराने का दावा कर रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया
और इंग्लैंड की क्रिकेट टीम पर फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप लगे थे.
हालांकि दोनों टीमों ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया है.
आईसीसी का
कहना है कि बिना अल-जज़ीरा के सहयोग के इस मामले में जांच सही दिशा में है.
क़तर के प्रसारक अल-जज़ीरा का कहना है कि वो इस मामले में सहयोग के लिए
तैयार है, लेकिन इस मामले में क़ानूनी पहलू का भी ध्यान रखना होगा.
अल-जज़ीरा का दावा है कि उसके स्टिंग में शामिल कथित फिक्सर का नाम अनिल मुनावर है.
एलेक्स
मार्शल आईसीसी के भ्रष्टाचार विरोधी यूनिट के महाप्रबंधक हैं. उन्होंने
कहा, ''हमें संदिग्ध मुनावर और भारत में बुकीज़ को लेकर जानकारी है. हम इस
मामले की जांच कर रहे हैं. हालांकि अनिल मुनावर अब भी रहस्य बना हुआ है.
अभी तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है.''
उन्होंने कहा, ''मैं लोगों से
अपील कर रहा हूं कि अनिल मुनावर की पहचान कराने में मदद करें.'' क्रिकेट
ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि उसने इस मामले की जांच की है और टीम में किसी भी
तरह का भ्रष्टाचार नहीं है.
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में
लगभग एक करोड़ लोग रहते हैं. दुनिया के किसी दूसरे शहर की तरह लोग काम पर
जाते हैं, घर आते हैं और वापस काम पर जाते हैं, हवा और पानी जैसी आम
समस्याओं से दो चार होते हैं.
लेकिन इस शहर में रहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक रही है. और वो भी हर साल 25 सेंटीमीटर की दर से.
बीते दस सालों में ये शहर ढाई मीटर ज़मीन में समा गया है लेकिन दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर पर निर्माण कार्य लगातार ज़ारी है. दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर के नीचे से 13 नदियां निकलती हैं और दूसरी ओर से
जावा सागर दिन-रात बिना रुके हुए शहर की ओर पानी फेंकता रहता है. बाढ़ का
आलम तो ये है कि शहर का काफ़ी हिस्सा अक्सर पानी में डूबा रहता है. इसके
साथ-साथ पानी में शहर के कई हिस्से समाते जा रहे हैं.
इंडोनेशिया के एक प्रतिष्ठित तकनीक संस्थान बैंडंग इंस्टीट्यूट ऑफ़
टेक्नॉलोजी में 20 सालों से जकार्ता की ज़मीन में होते बदलावों का अध्ययन
कर रहे हैरी एंड्रेस इसे एक बेहद गंभीर बात बताते हैं.
वह कहते हैं,
"जकार्ता के ज़मीन में डूब जाने का मसला हंसने का विषय नहीं है. अगर हम
अपने आंकड़ों को देखें तो 2050 तक उत्तरी जकार्ता का 95 फ़ीसदी हिस्सा डूब
जाएगा."
बीते दस सालों में उत्तरी जकार्ता ढाई मीटर तक डूब चुका है और 1.5 सेंटीमीटर की औसत दर लगातार डूब रहा है.
जकार्ता के डूबने की दर दुनिया के तमाम तटीय शहरों के डूबने की दर से दुगने से भी ज़्यादा है.
उत्तरी जकार्ता में इस समस्या का आसानी से देखा जा सकता है.
मुआरा
बारू ज़िले में एक पूरी सरकारी इमारत खाली पड़ी हुई है. कभी इस इमारत में
एक फिशिंग कंपनी चला करती थी लेकिन अब इस इमारत का केवल ऊपरी हिस्सा
इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस इमारत का ग्राउंड फ़्लोर बाढ़ के दौरान
पानी से भर गया था लेकिन बाढ़ ख़त्म होने के बाद ज़मीन का स्तर ऊपर आ गया
जिससे ये पानी ग्राउंड फ़्लोर में ही फंसकर रह गया.
जकार्ता शहर में लोगों ने ऐसी तमाम इमारतों को छोड़ दिया है क्योंकि उन्हें बार-बार मरम्मत कराने की ज़रूरत पड़ती थी.
इस जगह से पांच मिनट की दूरी पर एक मछली बाज़ार मौजूद है.
मुआरा
बारू में रहने वाले रिद्वान बीबीसी को बताते हैं, "फुटपाथ पर चलना लहरों की
सवारी करने जैसा है, लहरें आती रहती हैं, लोग गिर सकते हैं."
इस मछली बाज़ार से सामान ख़रीदने आने वालों को तमाम समस्याओं से दो चार होना होता है.
रिद्वान कहते हैं, "साल दर साल, ज़मीन डूबती जा रही है."
उत्तरी जकार्ता ऐतिहासिक रूप से बंदरगाह वाला शहर रहा है और आज भी यहां तेनजंग प्रायक इंडोनेशिया का सबसे व्यस्त बंदरगाह है.
इसी
स्थान से किलिवंग नदी जावा सागर में समाती हैं. 17वीं शताब्दी में डच
उपनिवेशवादियों ने इसी वजह से जकार्ता को अपना ठिकाना बनाया था.
वर्तमान
में उत्तरी जकार्ता में लगभग 18 लाख लोग रहते हैं जिनमें कमज़ोर होता
बंदरगाहों का व्यापार, टूटते तटीय क्षेत्रों के समुदाय और समृद्ध चीनी
इंडोनेशियाई लोगों की आबादी शामिल है.