Friday, August 31, 2018

एशियन गेम्स : हॉकी के सेमीफ़ाइनल में हारा भारत

एक बेहद रोमांचक मुकाबले के बाद, भारत एशियाई खेलों के पुरूष हॉकी मुकाबलों के सेमीफ़ाइनल में मलेशिया से हार गया है.
सेमी फ़ाइनल में मलेशिया ने भारत को पेनल्टी शूट-आउट में बराबर स्कोर रहने के बाद 'सडन डेथ' में 7-6 से हराया.
इससे पहले निर्धारित समय तक दोनों टीमें 2-2 से बराबरी पर थीं.
दोनों टीमें हॉफ़ टाइम तक कोई गोल नहीं कर पाईं लेकिन तीसरे क्वार्टर के बाद खेल ने कुछ रफ़्तार पकड़ी.
हॉफ़ टाइम के तुरंत बाद भारत की ओर से हरमनप्रीत सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर के ज़रिए गोल दाग़ कर भारत को बढ़त दिलाई.
लेकिन ये लीड ज़्यादा देर तक नहीं टिक पाई और चंद मिनटों के भीतर ही मलेशिया के फ़ैसल सारी ने गेंद को नेट मे डालकर अपनी टीम को बराबरी पर ला खड़ा कर दिया.
भारतीय टीम ने एक बार फिर से बढ़त लेने में ज़्यादा देर नहीं लगाई. और इस बार टीम को बढ़त दिलाई वरूण कुमार ने. ये गोल भी पेनल्टी कॉर्नर के ज़रिए हुआ.
इमेज कॉपीरइट  किन इस बढ़त के बाद भारत के दो खिलाड़ियों को मैदान से बाहर जाना पड़ा.इसके बाद मलेशिया ने भारतीय गोलपोस्ट पर कुछ ज़ोरदार हमले बोले. लेकिन भारतीय गोलकीपर श्रीजेश हर अवसर पर काफ़ी शार्प दिखे.
लेकिन खेल के आख़िरी लम्हों में मलेशिया ने गोल स्कोर कर मैच दो दो से बराबर कर दिया.
और इसके बाद मैच का फ़ैसला पेनल्टी शूट आउट में नहीं हुआ और फिर सडन डेथ में भारत हार गया.
भारत पिछले एशियाई खेलों का चैम्पियन था. उधर इसी साल कॉमनवेल्थ खेलों में मलेशिया ने भारत को 2-1 से हराकर सेमीफ़ाइनल में जगह बनाई थी.
इस व्यक्ति को अल-जज़ीरा ने इसी साल मई में अपने एक कार्यक्रम में दिखाया था.
अल-जज़ीरा ने में दिखाया था कि मुंबई के कुछ लोग अंतरराष्ट्रीय मैच फिक्स कराने का दावा कर रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की क्रिकेट टीम पर फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप लगे थे. हालांकि दोनों टीमों ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया है.
आईसीसी का कहना है कि बिना अल-जज़ीरा के सहयोग के इस मामले में जांच सही दिशा में है. क़तर के प्रसारक अल-जज़ीरा का कहना है कि वो इस मामले में सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन इस मामले में क़ानूनी पहलू का भी ध्यान रखना होगा.
अल-जज़ीरा का दावा है कि उसके स्टिंग में शामिल कथित फिक्सर का नाम अनिल मुनावर है.
एलेक्स मार्शल आईसीसी के भ्रष्टाचार विरोधी यूनिट के महाप्रबंधक हैं. उन्होंने कहा, ''हमें संदिग्ध मुनावर और भारत में बुकीज़ को लेकर जानकारी है. हम इस मामले की जांच कर रहे हैं. हालांकि अनिल मुनावर अब भी रहस्य बना हुआ है. अभी तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है.''
उन्होंने कहा, ''मैं लोगों से अपील कर रहा हूं कि अनिल मुनावर की पहचान कराने में मदद करें.'' क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि उसने इस मामले की जांच की है और टीम में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं है.

Friday, August 17, 2018

面对缺水之患,中国何以解忧?

改革开放如今已满四十载,面对曾经僵化的制度,中国共产党展现了自己的改革灵活性,成功地摸着石头过了河。但今天的中国依然面临着一个难题:钞票可以印,水资源却不行。
中国的水资源总量整体上是可观的,人均水资源量超过2000立方米。这一数字不仅高于水资源紧张警戒线(1700立方米),也远远超出了水资源短缺(1000立方米)和严重短缺(500立方米)的警戒线,与英国大致相当。

问题在于中国80%的水资源都集中在南部,导致北部地区有8个省份严重缺水、4个缺水、另有2个(新疆和内蒙古)大部分地区为沙漠。这12个省份的农业、工业、发电量(煤电和核电都需要大量的水)以及人口分别占全国总量的38%、46%、50%和41%。

中国领导人已经将京津冀地区的发展作为首要任务,但那里1.12亿居民可用的水资源还不及沙特阿拉伯。首先,政府需要承认这个问题的存在,并将其提升至政治议程的顶端。这场危机无法完全通过供给侧措施来避免,即使声势浩大的南水北调工程的水全部调往京津冀地区,那里的人均水资源量仍旧在严重缺水警戒线之下,更何况该工程还要为其他3个干旱省份服务。

从俄罗斯和西藏调水也不现实,而且相关设施的建设将旷日持久。海水淡化技术仍有不足。该技术需要使用大量电力。如果新增电力来自煤电或核电,那么发电又需要大量的水。

通过降低水污染来增加水供给的措施虽有助于缓解缺水问题,但这些措施一方面无法满足日益增长的需求,另一方面也无法在较短的时间内有效地应对缺水问题。加强对水污染和土壤污染治理的投入,将有利于增加整体资源量。中国8.3%的水资源严重污染,甚至无法用于农业或工业用途;2014年,IV类(污染较重)和V类(严重污染)地下水占水资源总量的61.5%。

同时,指令和视察是党中央落实强化政策的两大手段:近来这两方面都得到了极大的加强,但巡视员不可能无处不在。这种基本上属于“自上而下”的做法效果有待观察,新近成立的国家监察委员会(中国最高反腐机构)的工作决定着这种方式的成败。政府已经在讨论要提高国内水价,但居民用水只占全国总用水量的14%,而农业用水占62%,工业或发电用水占22%(其他用途占2%)。上调价格很敏感:不论对于低收入的农民还是挣扎在生存线上的国有企业。但政府别无选择。

此次党和国家机构改革是否会让水资源利用趋于合理,帮助应对水危机?

加强治理是一直以来亟需解决的问题:过去,用水决策分属九个甚至更多部门的管辖。

此次十三届全国人民代表大会对机构改革做出统一部署:水污染问题如今由生态环境部负责;修改了水利部的职能范围,包括并入国务院南水北调工程建设委员会及其办公室及三峡工程建设委员会及其办公室;自然资源部接管水利部的水资源调查和确权登记管理职责。

此次机构改革能否统一政策,减少用水需求,目前还未可知。面对早已显现的缺水问题,政府必须要在农业、工业、发电、民用等相互竞争的用水需求之间做出艰难的选择。习近平主席通过快速成立领导小组解决了一系列问题。奇怪的是,对于有可能引发严峻的经济、社会、甚至是政治问题的缺水问题,却还没有组建相应的领导小组。

2005年,时任水利部部长汪恕诚曾说过,中国“要么为每一滴水而战,要么灭亡。”而前总理温家宝也曾表示,水资源短缺威胁着“中华民族的生存”。高层领导人已经充分认识到了水问题对于中国的重要性。而中国如何应对迫在眉睫的水危机,也必将对全世界局势产生不可忽略的影响。

Monday, August 13, 2018

2050 तक डूब जाएगा उत्तरी जकार्ता का 95 फ़ीसदी हिस्सा

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में लगभग एक करोड़ लोग रहते हैं. दुनिया के किसी दूसरे शहर की तरह लोग काम पर जाते हैं, घर आते हैं और वापस काम पर जाते हैं, हवा और पानी जैसी आम समस्याओं से दो चार होते हैं.
लेकिन इस शहर में रहने वालों के पैरों तले ज़मीन खिसक रही है. और वो भी हर साल 25 सेंटीमीटर की दर से.
बीते दस सालों में ये शहर ढाई मीटर ज़मीन में समा गया है लेकिन दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर पर निर्माण कार्य लगातार ज़ारी है. दलदली ज़मीन पर बसे इस शहर के नीचे से 13 नदियां निकलती हैं और दूसरी ओर से जावा सागर दिन-रात बिना रुके हुए शहर की ओर पानी फेंकता रहता है. बाढ़ का आलम तो ये है कि शहर का काफ़ी हिस्सा अक्सर पानी में डूबा रहता है. इसके साथ-साथ पानी में शहर के कई हिस्से समाते जा रहे हैं.
इंडोनेशिया के एक प्रतिष्ठित तकनीक संस्थान बैंडंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी में 20 सालों से जकार्ता की ज़मीन में होते बदलावों का अध्ययन कर रहे हैरी एंड्रेस इसे एक बेहद गंभीर बात बताते हैं.
वह कहते हैं, "जकार्ता के ज़मीन में डूब जाने का मसला हंसने का विषय नहीं है. अगर हम अपने आंकड़ों को देखें तो 2050 तक उत्तरी जकार्ता का 95 फ़ीसदी हिस्सा डूब जाएगा."
बीते दस सालों में उत्तरी जकार्ता ढाई मीटर तक डूब चुका है और 1.5 सेंटीमीटर की औसत दर लगातार डूब रहा है.
जकार्ता के डूबने की दर दुनिया के तमाम तटीय शहरों के डूबने की दर से दुगने से भी ज़्यादा है.
उत्तरी जकार्ता में इस समस्या का आसानी से देखा जा सकता है.
मुआरा बारू ज़िले में एक पूरी सरकारी इमारत खाली पड़ी हुई है. कभी इस इमारत में एक फिशिंग कंपनी चला करती थी लेकिन अब इस इमारत का केवल ऊपरी हिस्सा इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस इमारत का ग्राउंड फ़्लोर बाढ़ के दौरान पानी से भर गया था लेकिन बाढ़ ख़त्म होने के बाद ज़मीन का स्तर ऊपर आ गया जिससे ये पानी ग्राउंड फ़्लोर में ही फंसकर रह गया.
जकार्ता शहर में लोगों ने ऐसी तमाम इमारतों को छोड़ दिया है क्योंकि उन्हें बार-बार मरम्मत कराने की ज़रूरत पड़ती थी.
इस जगह से पांच मिनट की दूरी पर एक मछली बाज़ार मौजूद है.
मुआरा बारू में रहने वाले रिद्वान बीबीसी को बताते हैं, "फुटपाथ पर चलना लहरों की सवारी करने जैसा है, लहरें आती रहती हैं, लोग गिर सकते हैं."
इस मछली बाज़ार से सामान ख़रीदने आने वालों को तमाम समस्याओं से दो चार होना होता है.
रिद्वान कहते हैं, "साल दर साल, ज़मीन डूबती जा रही है."
उत्तरी जकार्ता ऐतिहासिक रूप से बंदरगाह वाला शहर रहा है और आज भी यहां तेनजंग प्रायक इंडोनेशिया का सबसे व्यस्त बंदरगाह है.
इसी स्थान से किलिवंग नदी जावा सागर में समाती हैं. 17वीं शताब्दी में डच उपनिवेशवादियों ने इसी वजह से जकार्ता को अपना ठिकाना बनाया था.
वर्तमान में उत्तरी जकार्ता में लगभग 18 लाख लोग रहते हैं जिनमें कमज़ोर होता बंदरगाहों का व्यापार, टूटते तटीय क्षेत्रों के समुदाय और समृद्ध चीनी इंडोनेशियाई लोगों की आबादी शामिल है.